सिर्फ आंखों से प्यार करता हूं मुझमें इतनी हिम्मत नहीं कि अपनी चाहतों का इजहार कर पाऊं मेरे सामने ही मुस्कुराकर किसी और से मिलने लगी हैं दिल ही दिल में एठ कर रह जाता हूं आलम ऐसा नहीं है कि बर्दाश्त कर पाऊं
जो एक क्षण के लिए दूर रहती नहीं थी वह आजकल देखना भी मुझको नहीं चाहती है सोचता हूं मुझसे क्यों खफा हो गई जान बनकर जो रहती थी दिल में मेरे यारों वह मुझसे बेवफा हो गई