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दिल लगाया था, Hindi shayari, shayari Sangrah, love shayari

दिल लगाया था ये सोचकर जिंदगी सुकून में गुजरेगी मगर ठीक उल्टा हुआ है उसकी फरमाइशो में बेहाल हो गया हूं अब तो कर्ज में डूबा हुआ हूं यारों इस तरह कंगाल हो गया हूं वह शक में बेवफा समझ बैठे पर्दे के पीछे की हकीकत जानने की कोशिश नहीं किया अकेले में तड़पने को छोड़ गया महसूस हो रहा है सच्ची मोहब्बत नहीं किया खुशनसीब हूं जो वादा किया है प्यार उससे भी कहीं और ज्यादा दिया है यही अच्छे दोस्त की पहचान होती है हर मुश्किल में सहयोग भरपूर दिया है मुझे प्यार हो गया है उनके बातों पर ऐतबार हो गया है जिंदगी सवरने लगी है मन की सभी ख्वाहिशों का इजहार हो गया है खुशनसीब हूं सही वक्त पर मुलाकात हो गया है

जो एक क्षण के लिए दूर रहती नहीं थी

 जो एक क्षण के लिए दूर रहती नहीं थी वह आजकल देखना भी मुझको नहीं चाहती है सोचता हूं मुझसे क्यों खफा हो गई जान बनकर जो रहती थी दिल में मेरे यारों वह मुझसे बेवफा हो गई

सिर्फ आंखों से प्यार करता हूं

सिर्फ आंखों से प्यार करता हूं मुझमें इतनी हिम्मत नहीं कि अपनी चाहतों का इजहार कर पाऊं मेरे सामने ही मुस्कुराकर किसी और से मिलने लगी हैं दिल ही दिल में एठ कर रह जाता हूं आलम ऐसा नहीं है कि बर्दाश्त कर पाऊं

मेरे हालात पर लोग मुस्कुराते हैं

मेरे हालात पर लोग मुस्कुराते हैं उनके इश्क में तड़पता हुआ मुझे देख कर फबती कसते हैं लाचार और मजबूर हूं मैं रोता हूं उसकी वादो को सोच कर

हर घड़ी आपके ख्वाबों खयालों में डूबा रहता हूं

हर घड़ी आपके ख्वाबों ख्यालों में डूबा रहता हूं आपको पाने का जुनून मुझमें ऐसा पैदा हुआ आपसे मिलने मिलने का कोई ना कोई बहाना ढूंढता रहता